जिनलोगों की आस्था हैकि कबीर कमल के फूल पर पैदा हुए थे और 120 साल जीवित रहे वे इसआलेख को आगे न पढ़ें. उनकी आस्थाएँ निश्चित रूप से आहत होने के कगार पर हैं.न पढ़ने की चेतावनी दे दी है, आगे उनकी मर्ज़ी.
एक बार एक पारिवारिक बातचीत में एक बुज़ुर्ग ने कहना शुरू किया कि कबीर अवतारी पुरुष थे. वे एक विधवा ब्राह्मणी के यहाँ पैदा हुए थे. आगे कुछ देर के बाद उन्होंने कहा कि कबीर आकाशीय बिजली के साथ आए और कमल के फूल पर पैदा हुए. मुझ से रहा नहीं गया. मैंने वहाँ बैठी महिलाओं से कहा, "आप यहाँ इतनी महिलाएँ बैठी हैं. आप में से किसी ने कमल के फूल पर बच्चा पैदा होते देखा है?"पहले तो वे बुज़ुर्ग का लिहाज़ करके चुप्पी साधती दिखीं लेकिन बाद में एक-एक कर बोल पड़ीं कि 'बच्चे तो औरतें ही पैदा करती हैं'. है न सीधी बात, नो बकवास! अब कबीर विधवा ब्राह्मणी या ब्राह्मण कन्या के यहाँ पैदा हुए इसके बारे में पहले भी बहुत कुछकहा जा चुका है.
इसी तरहकिसी ने कहा कि कबीर 120 साल जिए तो किसी ने कबीर की उम्र 130 साल बताई. लेकिन एक प्रसिद्ध भाषाविज्ञानी और इतिहास की विवेचना करने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह ने निम्नलिखित नई जानकारी सामने ला कर रख दी:-
"आरकियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (न्यू सीरीज) नार्थ वेस्टर्न प्राविंसेज़, भाग 2, पृ. 224 पर अंकित है कि कबीर का रौजा (मकबरा, समाधि) 1450 ई. में बस्ती जिले के पूर्व में आमी नदी के दाहिने तट पर बिजली खां ने स्थापित किया था। रौजे की पुष्टि आईन-ए-अकबरी भी करता है। अर्थात 1450 ई. से पहले कबीर की मृत्यु हो चुकी थी।
कबीर का जन्म 1398 ई. में हुआ था। अर्थात कबीर की मृत्यु तब हुई, जब वो 51-52 साल के थे। ऐसे में स्वभाविक प्रश्न उठता है कि उनकी मृत्यु सामान्य नहीं थी, आकस्मिक थी।
कबीर की आकस्मिक मृत्यु का रहस्य खुलना चाहिए। ... और यह भी कि उनके बूढ़े चित्रों का चित्रकार कौन था? ... और यह भी कि उनके 120 वर्षों तक जीवित रहने की कल्पना पहली बार किसने की? ... और यह भी कि सिकंदर लोदी के अत्याचारों से कबीर को पहली बार किसने जोड़ा तथा क्यों जोड़ा? जबकि सिकंदर लोदी तो कबीर की मृत्यु के 38 वर्षों बाद गद्दी पर बैठा था।"
जब ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध हैं तो यह सवाल भी उठेगा कि कबीर के 120 वर्ष तक जीवित रहने और मगहर में मरने की अफ़वाह किसने उड़ाई. संभावना है कि उसी ने जो कबीर के पास था, जो घटना का दर्शक था या घटना का कर्ता था. जातिवादी लोग जिस तरह कबीर की जान केे पीछे हाथ धो कर पड़े थे, और जिसकी कहानियाँ लिखीं गई हैंउससे मन में यह प्रश्न उठेगाकि क्या कबीर की हत्या की गई थीऔर बाद में झूठी कहानियाँ फैलादी गईं?अंतिम संस्कार या सुपुर्द-ए-ख़ाक करने से पहले ही लाश फूलों (अस्थियों) में कैसे बदल सकती है इसका जवाब देने वाला दुनिया में कोई है क्या?
मैंने कबीर को पढ़ा है लेकिन अब मैं उसे भक्त, ज्ञानी, अध्यात्मवादी के रूप में नहीं देखता. मैं उस कबीर को जानता हूँ जो इस देश के मूलनिवासियों को दासता सेमुक्ति के प्रति चेतवान बनाता है.
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