स्वतंत्रता सेनानी मास्टर नरपत सिंह जिन्हें श्रीमती इंदिरा गाँधी ने ताम्रपत्र भेंट किया था
इसी ब्लॉग पर ऊपर बने एक पृष्ठOur pioneersपर कभी लिखा था कि मेघ भगतों में हिमाचल के एक सज्जन श्रीनरपत सिंहजी स्वतंत्रता सेनानी थे जिसकी सूचना दीनानगर की अनीता भगत ने दी थी. मेघ भगतों में किसी के स्वतंत्रता सेनानी होने की यह पहली जानकारी थी जो मुझे मिली. फिर दिल्ली के एक श्रीअमीं चंदका नाम ताराराम जी के माध्यम से सामने आया जिसके बारे में श्री आर.एल. गोत्रा जी ने सूचनाएँ दीं. दिल्ली के श्री मोहिंदर पॉल जी ने एक अन्य मेघ भगत श्री रामचंद जी के हवाले से सूचित किया था कि अमीं चंद जी स्वतंत्रता सेनानी थे. अमीं चंद जी ने पृथ्वीसिंह आज़ाद के साथ कुछ देर तक कार्य किया. उन्होंने 'हरिजन लीग'नाम की एक संस्था भी बनाई थी. इस बीचतारारामजी ने एक अन्य सज्जनप्रभ दयाल भगतका संदर्भ भेजा जो ऊना से थे और स्वतंत्रता सेनानी थे (ब्राउज़र-यूआरएल सहित एक स्क्रीन शॉट) नीचे लगा दिया गया है. लेकिन इनके बारे में ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं हो पा रही है. मेघ भगतों के कुछ वाट्सएप ग्रुपों से अनुरोध किया गया है कि इनके बारे में जानकारी प्राप्त होने पर मेरे इस जी-मेल पते bhagat.bb@gmail.com पर भेजने की कृपा करें. यदि इनके 'मेघ'होने का प्रमाण मिल जाए तो हमारे समुदाय के तीन ऐसे मेघों के बारे में पक्का प्रमाण हो जाएगा कि वे स्वतंत्रता संग्रामी (Freedom Fighter) थे. होशियारपुर ज़िले में मेघ समाज बहुत देर से बसा है इसकी पुष्टि हो चुकी है.
क्योंकि पढ़े-लिखे मेघों में से कुछ ने ही अपनी जानकारी, अपने अनुभवों और अपने कार्य के बारे में लिखा है इसलिए मेघ भगत जाति के बारे में लिखते समय कुछ प्रमाणों को जोड़ कर कुछ अनुमान भी लगाना पड़ता है. उक्त स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में अपने अतिरिक्त अनुमान यहाँ दे रहा हूँ.
जिस प्रकारएडवोकेट हंसराज भगतहोशियारपुर के श्री मंगूराम मुगोवालिया और आदधर्म से प्रभावित थे उससे लगता है कि होशियारपुर के हीसंतराम बीएजो मेघ थे और आगे चल कर जिन्होंनेजातपात तोड़क मंडलबनाया, वे भी आदधर्म आंदोलन को किसी न किसी रूप में जानते होंगे. नरपत सिंह जी के बारे में भी अनुमान लगाना कठिन नहीं है कि वे भी होशियारपुर और ऊना में चल रहे सामाजिक परिवर्तन से वाकिफ़ थे. ये सभी किसी न किसी रूप में आर्यसमाज के संपर्क में रहे और राजनीतिक दल के रूप में उन दिनों कांग्रेस का बोलबाला था सो ये कांग्रेसी और उसके आंदोलनों से प्रभावित रहे होंगे. नरपत सिंह जी ने दिल्ली में डीएवी स्कूल में अध्यापन कार्य किया था. उन्हें हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस की राज्य सरकार और इंदिरा गाँधी की केंद्र सरकार ने ताम्रपत्र भेंट किए हैं.
एडवोकेट हंसराज भगत 1937 में मंगूराम जी के आदधर्म संगठन के समर्थन से पंजाब विधान परिषद के सदस्य बने. मंगूराम जी 1946 में पंजाब विधान परिषद के सदस्य रहे और संतराम बीए भी 1946 में पंजाब विधान परिषद के सदस्य बने. यहीं से एक और तार आ जुड़ता है कि मंगूराम मुगोवालियाग़दर पार्टीके संस्थापक सदस्यों में से थे. होशियारपुर के मेघों के बारे में जानकारी लेते समय इस लीड पर भी कार्य होना चाहिए.
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