इस साइट पर मुख्यतः मेघवंश के ऐतिहासिक और कहीं-कहीं पौराणिक पक्ष का उल्लेख किया गया है.मेघवंश मूलतः एक रेस (Race) है जिसमें से बहुत-सी जातियाँ निकली हैं जो भारत के लगभग सभी प्रदेशों में बसी हैं. उनके कई नाम ऐसे हैं जिन्हें भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में रहने वाले और ख़ुद को मेघ कहने वाले लोग स्वीकार ही नहीं कर पा रहे. लेकिन मेघवंश तो अन्य देशों में भी विद्यमान है.
भारत में बसे कई 'वंशों'का 'जातियों'में बँटवारा ब्राह्मणीकल व्यवस्था की देन है. मेघवंश का एक टुकड़ा यानि 'मेघ जाति'उसी व्यवस्था से बनी है.
भारत में बसे कई 'वंशों'का 'जातियों'में बँटवारा ब्राह्मणीकल व्यवस्था की देन है. मेघवंश का एक टुकड़ा यानि 'मेघ जाति'उसी व्यवस्था से बनी है.
पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बसी 'मेघ जाति'पर पहली विस्तृत और प्रामाणिक जानकारी डॉ. ध्यान सिंह के शोध ग्रंथ के रूप में उपलब्ध हुईजिसे आप इन लिंक्स पर क्लिक करके या गूगल सर्च में Kabirpanthis's of PunjabयाDr. Dhian Singh - History of Meghs/Bhagatsटाइप करके ढूँढ सकते हैं. दूसरी पुस्तक श्री एम.आर. भगत की लिखी पुस्तक मेघमाला Meghmalaहै. इसे हम मेघ जाति का इतिहास चाहे न कह पाएँ लेकिन इसमें मेघ जाति के बारे में काफी जानकारी मिल जाती है. जम्मू के एक अन्य सज्जन ने मेघों की स्थिति पर एक लंबे आलेख की रचना ''इस्तगासा-ए-राष्ट्रपति''के नाम से की थी. लेकिन इसे देखने का सौभाग्य मुझे अभी तक प्राप्त नहीं हुआ.
श्री आर.एल. गोत्रा के लिखे लंबे आलेखMeghs of Indiaमें मेघवंश के प्राचीन इतिहास के साथ-साथ पंजाब-जम्मू-कश्मीर की मेघ जाति का कुछ आधुनिक इतिहास आपको मिल जाएगा.
श्री आर.एल. गोत्रा के लिखे लंबे आलेखMeghs of Indiaमें मेघवंश के प्राचीन इतिहास के साथ-साथ पंजाब-जम्मू-कश्मीर की मेघ जाति का कुछ आधुनिक इतिहास आपको मिल जाएगा.