वैसे तो कबीर सदियों से भारतीय जनमानस में बसे हैं लेकिन मेघों का उनसे जुड़ाव संभवतः तब से बढ़ा है जबसे मेघ 'सिंह सभा'लहर के प्रभावाधीन कबीरपंथी बने.जम्मू और पंजाब में बहुत से कबीर मंदिर बनाए गए हैं. ये मंदिर इतनी संख्या में तो हैं ही कि उनको कब्ज़ाने की होड़ लग जाए. चढ़ावा कितना चढ़ता है मैं नहीं जानता. वैसे मेरी नज़र भक्तिभाव की अपेक्षा चढ़ावे को अधिक देखती है और चढ़ावे को समुदाय के विकास के कोण से देखती है.
कबीर को अब तक जैसा समझा है उस पर एक प्रेज़ेंटेशन बनाया जो मेरे व्यक्तिगत दृष्टिकोण से बना है. दूसरे जैसा सोचते-मानते हैं उसका स्वागत है. आप भी अपना फैसला आप कीजिए.
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